एक बार एक देहाती जिसका नाम गनपत राय था नौकर के इंटरव्यू के लिए गया
इंटरव्यू एक स्मिथ नाम का अंग्रेज ले रहा था
स्मिथ- हाँ ,तो गांडफट राय .(गनपत राय )
गनपत- नहीं सर ज्यादा नहीं (नर्वस होकर )
स्मिथ- ख्या ज्यादा नहीं बोलता हाय तुम्हारे फॉर्म में लिखा हाय गांडफट राय
गनपत- ठीक है माई बाप अब लिखा है तो फट रहा होगा
स्मिथ - तो तुम डेली मारता हाय (तो तुम देल्ही में रहता है )
गनपत- नहीं सर कभी कभी
स्मिथ- गांडफट राय इधर आओ .क्या कभी कभी बोलता हाय तुम्हारे फॉर्म में लिखा हाय तुम डेली मारता है (देल्ही में रहता है )
गनपत-ठीक है माई बाप , लिखा है तो मारता होऊंगा
....गनपत के जवाब से खुश होकर स्मिथ उसे अपने यहाँ नौकरी दे देता है
एक बार स्मिथ कि बीवी ब्रा पहन रही थी तो उसकी ब्रा का पीछे कि गाँठ नहीं लग रही था उसने गनपत को आवाज दी
मालकिन -गांडफट ,पीछे से मेरी गांड (गाँठ) मार दो
गनपत- मालकिन ये आप क्या कह रही है मालिक मुझे कच्चा चबा जायेंगे
मालकिन -तुम नहीं करगा तो हम तुमको कच्चा चबा जायेगा ,जल्दी करो
...बेचारा गनपत मन मारकर मालकिन कि गांड मारने लग जाता है
मालकिन - गांडफट राय, गांडफट राय, गांडफट राय (गनपत राय )
गनपत- मालकिन गांड मारूंगा तो गांड तो फटेगी ही
Jan 7, 2:24 PM - Ankit RMS: Jo khushi se karne de use karne se paap nahi hota,
kuwari ho to L@and kharab nahi hota,
hamesha Condom laga ke karnamere Dost...
kyu ki L@nd k paas Dimag nahi hota😜😄😄😄😄😃😃😃😃😄😝😝😝😛😛😛😍😍😍😍😁😳😌😭😂😪
Jan 7, 2:24 PM - Ankit RMS: एक थे ठाकुर। बड़े ही ठरकी और चोदू किस्म के इंसान थे। जब वे गाँव के औरतों को चोद-चोदकर बोर हो गए, तो उनकी नज़र गाँव की भैंसों, गायों, बकरियों, कुत्तियों पर पड़ी। कई साल ऐसे ही बीत गए, ठाकुर का लौड़ा था कि बस नई-नई तरह की चूतों के सपने देखा करता था। ऐसे में एक दिन उदास हो कर ठाकुर एक तालाब के किनारे बैठे थे, तो उनकी नज़र एक मेंढकी पर पड़ी। बस उनको अपना नया शिकार मिल गया। ठाकुर ने उस मेंढकी को खूब चोदा, और फिर उसे अपनी हवेली में ले आए।
अब तो हवेली में मेंढकी के ठाठ थे, वो ठाकुर की पत्नी और उसकी रंडियों पर ऐसे कमेंट करती कि उनकी झांटें सुलग उठती। ठाकुर जब शाम को आता तो मेंढकी को पुचकार कर कहता, "आओ परी बैठो जांघ पर हमारी खाओ पान सुपारी" और मेंढकी उचककर अपनी गाँड़ मरवाने पहुँच जाती।
ठाकुर की पत्नी ने एक दिन मेंढकी को फँसाने की योजना बनाई। उसने ठाकुर के कपड़े पहने और अपनी जांघ पर एक गरमा-गरम तवा बाँध लिया। फिर वह मेंढकी के कमरे में गई और ठाकुर की आवाज़ में बोली, "आओ परी बैठो जांघ पर हमारी, खाओ पान सुपारी"। मेंढकी अपनी आदत के अनुसार जांघ की ओर लपकी लेकिन उसकी गाँड़ जांघ पर बंधे गर्मा-गर्म तवे पर टकरा गई, और मेंढकी की गाँड़ जलभुन गई। ठाकुर की पत्नी ख़ुश हो गई और चली गई।
शाम को जब ठाकुर घर आया तो अपनी मेंढकी को आवाज़ दी, "आओ परी बैठो जांघ पर हमारी खाओ पान सुपारी"
मेंढकी की गाँड़ में फोड़े पड़ गए थे, चीखकर बोली, "आई थी राँड़ तुम्हारी, जला गई गाँड़ हमारी, अब नहीं खानी पान सुपारी, माँ की चूत तुम्हारी"
Jan 7, 2:24 PM - Ankit RMS: किस रावण की काटूं बाहें,
किस लंका को आग लगाऊँ..!
घर घर रावण पग पग लंका, इतने राम कहाँ से लाऊँ..,!!!
नफरतों का असर देखो,
जानवरों का बटंवारा हो गया,
गाय हिन्दू हो गयी ;
और बकरा मुसलमान हो गया.
मंदिरो मे हिंदू देखे,
मस्जिदो में मुसलमान,
शाम को जब मयखाने गया ;
तब जाकर दिखे इन्सान.
ये पेड़ ये पत्ते ये शाखें भी परेशान हो जाएं..
अगर परिंदे भी हिन्दू और मुस्लमान हो जाएं
---
सूखे मेवे भी ये देख कर हैरान हो गए..
न जाने कब नारियल हिन्दू और
खजूर मुसलमान हो गए..
---
न मस्जिद को जानते हैं , न शिवालों को जानते हैं
जो भूखे पेट होते हैं, वो सिर्फ निवालों को जानते हैं.
अंदाज ज़माने को खलता है.
की मेरा चिराग हवा के खिलाफ क्यों जलता है......
में अमन पसंद हूँ ,मेरे शहर में दंगा रहने दो...
लाल और हरे में मत बांटो ,मेरी छत पर तिरंगा रहने दो....
Jan 7, 4:53 PM - vikash Rajput Rmoney: अर्ज किया है:
मेरे हैं सिर्फ दो ही टट्टे
वाह वाह...
भोसड़ी के पहले सुन तो
मेरे हैं सिर्फ दो ही टट्टे
यार चूस के बता
मीठे हैं या खट्टे
इंटरव्यू एक स्मिथ नाम का अंग्रेज ले रहा था
स्मिथ- हाँ ,तो गांडफट राय .(गनपत राय )
गनपत- नहीं सर ज्यादा नहीं (नर्वस होकर )
स्मिथ- ख्या ज्यादा नहीं बोलता हाय तुम्हारे फॉर्म में लिखा हाय गांडफट राय
गनपत- ठीक है माई बाप अब लिखा है तो फट रहा होगा
स्मिथ - तो तुम डेली मारता हाय (तो तुम देल्ही में रहता है )
गनपत- नहीं सर कभी कभी
स्मिथ- गांडफट राय इधर आओ .क्या कभी कभी बोलता हाय तुम्हारे फॉर्म में लिखा हाय तुम डेली मारता है (देल्ही में रहता है )
गनपत-ठीक है माई बाप , लिखा है तो मारता होऊंगा
....गनपत के जवाब से खुश होकर स्मिथ उसे अपने यहाँ नौकरी दे देता है
एक बार स्मिथ कि बीवी ब्रा पहन रही थी तो उसकी ब्रा का पीछे कि गाँठ नहीं लग रही था उसने गनपत को आवाज दी
मालकिन -गांडफट ,पीछे से मेरी गांड (गाँठ) मार दो
गनपत- मालकिन ये आप क्या कह रही है मालिक मुझे कच्चा चबा जायेंगे
मालकिन -तुम नहीं करगा तो हम तुमको कच्चा चबा जायेगा ,जल्दी करो
...बेचारा गनपत मन मारकर मालकिन कि गांड मारने लग जाता है
मालकिन - गांडफट राय, गांडफट राय, गांडफट राय (गनपत राय )
गनपत- मालकिन गांड मारूंगा तो गांड तो फटेगी ही
Jan 7, 2:24 PM - Ankit RMS: Jo khushi se karne de use karne se paap nahi hota,
kuwari ho to L@and kharab nahi hota,
hamesha Condom laga ke karnamere Dost...
kyu ki L@nd k paas Dimag nahi hota😜😄😄😄😄😃😃😃😃😄😝😝😝😛😛😛😍😍😍😍😁😳😌😭😂😪
Jan 7, 2:24 PM - Ankit RMS: एक थे ठाकुर। बड़े ही ठरकी और चोदू किस्म के इंसान थे। जब वे गाँव के औरतों को चोद-चोदकर बोर हो गए, तो उनकी नज़र गाँव की भैंसों, गायों, बकरियों, कुत्तियों पर पड़ी। कई साल ऐसे ही बीत गए, ठाकुर का लौड़ा था कि बस नई-नई तरह की चूतों के सपने देखा करता था। ऐसे में एक दिन उदास हो कर ठाकुर एक तालाब के किनारे बैठे थे, तो उनकी नज़र एक मेंढकी पर पड़ी। बस उनको अपना नया शिकार मिल गया। ठाकुर ने उस मेंढकी को खूब चोदा, और फिर उसे अपनी हवेली में ले आए।
अब तो हवेली में मेंढकी के ठाठ थे, वो ठाकुर की पत्नी और उसकी रंडियों पर ऐसे कमेंट करती कि उनकी झांटें सुलग उठती। ठाकुर जब शाम को आता तो मेंढकी को पुचकार कर कहता, "आओ परी बैठो जांघ पर हमारी खाओ पान सुपारी" और मेंढकी उचककर अपनी गाँड़ मरवाने पहुँच जाती।
ठाकुर की पत्नी ने एक दिन मेंढकी को फँसाने की योजना बनाई। उसने ठाकुर के कपड़े पहने और अपनी जांघ पर एक गरमा-गरम तवा बाँध लिया। फिर वह मेंढकी के कमरे में गई और ठाकुर की आवाज़ में बोली, "आओ परी बैठो जांघ पर हमारी, खाओ पान सुपारी"। मेंढकी अपनी आदत के अनुसार जांघ की ओर लपकी लेकिन उसकी गाँड़ जांघ पर बंधे गर्मा-गर्म तवे पर टकरा गई, और मेंढकी की गाँड़ जलभुन गई। ठाकुर की पत्नी ख़ुश हो गई और चली गई।
शाम को जब ठाकुर घर आया तो अपनी मेंढकी को आवाज़ दी, "आओ परी बैठो जांघ पर हमारी खाओ पान सुपारी"
मेंढकी की गाँड़ में फोड़े पड़ गए थे, चीखकर बोली, "आई थी राँड़ तुम्हारी, जला गई गाँड़ हमारी, अब नहीं खानी पान सुपारी, माँ की चूत तुम्हारी"
Jan 7, 2:24 PM - Ankit RMS: किस रावण की काटूं बाहें,
किस लंका को आग लगाऊँ..!
घर घर रावण पग पग लंका, इतने राम कहाँ से लाऊँ..,!!!
नफरतों का असर देखो,
जानवरों का बटंवारा हो गया,
गाय हिन्दू हो गयी ;
और बकरा मुसलमान हो गया.
मंदिरो मे हिंदू देखे,
मस्जिदो में मुसलमान,
शाम को जब मयखाने गया ;
तब जाकर दिखे इन्सान.
ये पेड़ ये पत्ते ये शाखें भी परेशान हो जाएं..
अगर परिंदे भी हिन्दू और मुस्लमान हो जाएं
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सूखे मेवे भी ये देख कर हैरान हो गए..
न जाने कब नारियल हिन्दू और
खजूर मुसलमान हो गए..
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न मस्जिद को जानते हैं , न शिवालों को जानते हैं
जो भूखे पेट होते हैं, वो सिर्फ निवालों को जानते हैं.
अंदाज ज़माने को खलता है.
की मेरा चिराग हवा के खिलाफ क्यों जलता है......
में अमन पसंद हूँ ,मेरे शहर में दंगा रहने दो...
लाल और हरे में मत बांटो ,मेरी छत पर तिरंगा रहने दो....
Jan 7, 4:53 PM - vikash Rajput Rmoney: अर्ज किया है:
मेरे हैं सिर्फ दो ही टट्टे
वाह वाह...
भोसड़ी के पहले सुन तो
मेरे हैं सिर्फ दो ही टट्टे
यार चूस के बता
मीठे हैं या खट्टे
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